शहरी गरीबी क्या होती हैं? | What is urban poverty in Hindi

शहरी गरीबी क्या होती हैं?( What is urban poverty?)

भारत में शहरी गरीबी अद्वितीय है तथा यह विशेष पैटर्न के अनुसार प्रभावशील है । यद्यपि पिछले दशकों में शहरी गरीबों के अनुपात में गिरावट आई है, परन्तु संख्या में निरंतर वृद्धि जारी है जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव महानगरों के स्लम क्षेत्रो पर पड़ता है। शहरी गरीबी से संबंधित मुद्दे, जैसे कि प्रवासन, श्रम, लिंग की भूमिका, बुनियादी सेवाओं तक पहुंच और भारत की मलिन बस्तियों की भयावह स्थिति हैं जो कि कोरोना काल में बहुत तेजी से नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए थे। फिर से एक बार कोरोना के मामलो की बढ़ती संख्या ने इन शहरी गरीबो की स्थिति को सुभेद्य किया है।

भारत में शहरी गरीबी की स्थिति कैसी हैं? (What is the state of urban poverty in India?)

भारत में “गरीबी हटाओ” को पाँचवीं पंचवर्षीय योजना का एक प्रमुख उद्देश्य बनाया गया तब शहरी गरीबो को एक पहचान मिली। आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय 2001 की रिपोर्ट के अनुसार, शहरी परिवारों में से लगभग 23.5% स्लम में निवास करते थे। यद्यपि स्लम निवासियों का प्रतिशत 2011 तक घटकर 17% हो गया था, हालांकि झुग्गियों में रहने वाले परिवारों की कुल संख्या 2001 में 10 मिलियन से बढ़कर 2011 में 13 मिलियन हो गई थी। शहरी गरीबी का अधिकांश हिस्सा मेगा शहरों में होता है

शहरी गरीबी के कारण कौन कौन से हैं? (What are the causes of urban poverty?)

बढ़ता प्रवास (increasing migration):-

ग्रामीण क्षेत्र में अवसर की उपलब्धता में कमी तथा कृषि के लगातार घटते लाभ के कारण भारत में बड़े पैमाने पर माइग्रेशन होता है। माइग्रेशन को हिंदी में प्रवास कहा जाता हैं. ग्रामीण क्षेत्रो में रोजगार के अवसर की कमी तथा अपनी जरूरतों की आपूर्ति के लिए शहर की ओर पलायन करते हैं.

भीड़ भाड़ का बढ़ जाना (over-crowding):-

शहरी बस्तियों में भीड़भाड़ एक और प्रमुख कारक है। प्रत्येक स्लम में सामान्य रूप से 70 से 100 लोगों के लिए सिर्फ एक बाथरूम होता है, और व्यक्तिगत स्वच्छता प्रथाओं के बारे में जागरूकता की कमी परिवारों को बीमारियों और संक्रमणों से जूझना पड़ता हैं। जिससे इनके आय का एक महत्वपूर्ण भाग स्वास्थ्य सम्बन्धी चीजों में व्यय होता है, और यह शहरी गरीबी का प्रमुख कारण बनता हैं.

वहनीय आवास में कमी (lack of affordable housing):-

वहनीय आवास में कमी के कारण स्लम क्षेत्रो में भीड़ लगातार बढ़ती जाती है। जिससे आगे बिजली  ,पानी, स्वच्छता जैसी सुविधाओं का आभाव हो जाता है। वहनीय आवास में कमी शहरी गरीबी को बढ़ावा देता हैं.

आय में कमी का होना (decrease in income):-

भारत के ग्रामीण क्षेत्र में कौशल ,शिक्षा , स्वास्थ्य के बुनियादी आवश्यकताओं में कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्र से पलायन करने वाले व्यक्ति को शहरो में उचित वेतन नहीं मिलता और इसके कई कारण हो सकते हैं. जैसे की – उचित शिक्षा का न होना, सभी चीजो की जानकारी न होना और स्किल इसके साथ ही कार्य अनुभव की कमी। जिससे ये असंगठित अर्थव्यवस्था में काम करने को लेकर बाध्य होते हैं तथा इनका पूंजीवादियों द्वारा शोषण होता है। इससे इनकी आय में वृद्धि नहीं हो पाती तथा शहरी गरीब की संख्या में बढ़ोत्तरी होती है।

कोरोना के दौरान  शहरी गरीब (urban poor during corona):-

COVID-19 कोरोना महामारी के दौरान कोविड के कारण भारतीय शहर सबसे अधिक प्रभावित था । कोरोना के प्रभाव के फलस्वरूप लॉकडाउन ,सामाजिक भेद भाव , बाजार, कारखानों और छोटे व्यवसाय को बंद करना शहरी आबादी के इन वर्गों के लिए काम के अवसरों को कम कर शहरी गरीबो के लिए आजीविका संकट ला दिया था ।

इस वर्ष माहमारी की बढ़ती आशंका के कारण शहरी बेरोजगारी, जो पहले से ही तनाव में थी, की प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है।

शहरी गरीबी को कैसे कम किया जा सकता है ? (How can urban poverty be reduced?)

ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन को बेहतर बना कर:-

ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पलायन को नियंत्रित करने के लिए, ग्रामीण बुनियादी ढांचे की मौजूदा स्थिति (या इसके अभाव) को पूरा किया जाना चाहिए। यह भी महत्वपूर्ण है कि झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को किसी प्रकार के ऋण और संसाधनों तक पहुंच दी जाए तथा उन्हें ग्रामीण क्षेत्रो में निवेश को बढ़ावा देने में सहयोग किया जाए।

ग्रामीण क्षेत्रो में आय को बढ़ा कर:-

भारत ग्रामीण क्षेत्रों में लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ साथ और भी आय के स्रोत स्थापित करने होंगे जिसकी वजह से ग्रामीण अंचल के निवासी अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को आपूर्ति के लिए शहर की ओर पलायन न करें.

भारत में कृषि को बढ़ावा देना:-

भारत की आधी से ज्यादा आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती हैं, और ग्रामीण क्षेत्र में कृषि आय और  आजीविका का एक मुख्य स्रोत हैं. भारत में कृषि को उन्नत किया जाए। यदयपि सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है।

बेहतर शहरी नियोजन और स्लम पुनर्वास:-

निजीकरण के उपरान्त लगातार भारत के शहरो की रूप रेखा बदल रही है परन्तु स्लम की मौजूदगी शहरी नियोजन पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है।

पुनर्वास के माध्यम से, हम यह सुनिश्चित करते हैं कि इन परिवारों को स्वच्छ पानी, बिजली, बेहतर रोजगार (कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से), और उनके घरों में रहने का अधिकार प्राप्त हो।

भ्रष्टाचार पर नियंत्रण:-

भ्रष्टाचार पर नियंत्रण कर रियल स्टेट के आभासी मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करना आवश्यक है। भ्रष्टाचार एक मुख्य वजह है जिसके वजह से ज्यादा आय होने की वजह से भी व्यक्ति गरीबी से नहीं निकल पाता, भ्रष्टाचार  पर जितना ज्यादा नियंत्रण होगा उतनी ही उचित दामो पर वस्तुयों क्रय व विक्रय होगा. जिससे वहनीय आवास उपलब्ध हो सके।

शहरी गरीबी पर निष्कर्ष:-

जहाँ एक तरफ पूँजीवाद , सामंतवाद तथा जातिवाद के कारण उत्पन्न हुई शहरी गरीबी की स्थिति को अनियोजित शहरीकरण ने और अधिक सुभेद्य कर दिया है। वहीं कोरोना महामारी ने इस वर्ग की वंचना में वृद्धि कर दी है।

इसे दूर करने सर्वाधिक चुनौती पोषण, अर्ध-साक्षर, अर्द्ध-कुशल, कम बेरोजगार और दुर्बल शहरवासियों की बड़ी तादाद में भोजन, शिक्षित, आवास और रोजगार देना है, जो फुटपाथ, अस्वच्छ झुग्गी-झोपड़ी और अपर्याप्त जीवन जी रहे हैं। यह एक चुनौतीपूर्ण परन्तु महत्वपूर्ण कार्य है जिसे किया जाना अत्यंत अनिवार्य है।

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